Monday, February 2, 2009

ज़िन्दगी ?/What is Life?

--------------आदमी इस लिये नही मरता------------------
ज़िन्दगी ख्वाहिशो का मरकज़* है
आरज़ूओं का एक मख़्ज़न* है
ख़ुशनुमा फूल, बहता झरणा है
काम ही इसका आगे बढ़ना है।

ज़िन्दगी रौशनी की महफ़िल है
जिस से ये काएनात झिल-मिल है
है हवा पर सवार यह तो कभी
मौजे दरया,सुकूने साहिल है।

ज़िन्दगी क्या है?, माँ का आँचल है
साया जिससे मिले वह बादल है
जज़्ब* कर सब बुराई अपने में
शुद्ध पानी जो दे वह छागल है।

रौ के हँस पड़ना इसकी फ़ितरत है
हँस के आँखे भिगोना आदत है
दूर से ही सुनाई देती है
सुमधुर ज़िन्दगी की आहट है।

प्यार, रिश्ते, वफ़ा, जफ़ाए भी
नाज़, नख़रे, सितम, अदाएं भी
तपता सहरा घनी घटाएं भी
ज़िन्दगी है परी-कथाएं भी।

आस्मानो से इसका रिश्ता है
सज्दा इसको करे फ़रिश्ता है
इसकी रुदाद* तो नविश्ता* है
ज़िन्दगी नग़्म-ए-ख़ज़िश्ता* है।

मठ के निकली है यह समुन्दर से
दूसरा नाम इसका अमृत है,
मौत से हार कैसे मानेगी
यह तो एक मोअजेज़-ए-कुदरत है*

आदमी ज़िन्दगी का हामिल है
ज़िन्दगी को ख़ुशी यह हासिल है
वो जो दुश्मन है इसका, ग़ाफ़िल है
ज़िन्दगी आदमी में कामिल है।

ज़िन्दगी इक अजर-अमर शै* है
जिस्मे आदम तो इक लबादा* है
यह बदल भी गया तो क्या ग़म है
आदमी ज़िन्दा है-पाईन्दा* है।

*मरकज़=सेन्टर, मख़ज़न=स्टोर, जज़्ब=सोख लेना,
रुदाद=दास्तान, नविश्ता=लिखी हुई, ख़ज़िश्ता=मुबारक
मोअजेज़-ए-कुदरत=ईश्वरीय चमत्कार,शै=वस्तु
लबादा=पौशाक, पाईन्दा=सदा कायम रहने वाला
 
[संजय भारद्वाज जी की रचना 'ये आदमी मरता क्यों नहीं है" एवं
नीरज जी के ब्लोग से प्रभावित होकर यह रचना रचित हुई है।]
-मंसूर अली हाशमी 

7 comments:

Vinay said...

बहुत ही उम्दा कृति है!

महेंद्र मिश्र.... said...

मथ के निकली है यह समुन्दर से
दूसरा नाम इसका अम्रत है,
मौत से हार कैसे मानेगी
यह तो एक मोअजेज़-ए-कुदरत है*।

बहुत ही सुंदर रचना आभार

Udan Tashtari said...

प्यार, रिश्ते, वफ़ा, जफ़ाए भी
नाज़, नख़रे, सितम, अदाएं भी
तपता सहरा घनी घटाएं भी
ज़िन्दगी है परी-कथाएं भी।


--बहुत बढ़िया!!

Himanshu Pandey said...

बहुत सुन्दर और प्रभावपूर्ण. धन्यवाद

Smart Indian said...

बहुत सुन्दर!

नीरज गोस्वामी said...

मथ के निकली है यह समुन्दर से
दूसरा नाम इसका अम्रत है,
मौत से हार कैसे मानेगी
यह तो एक मोअजेज़-ए-कुदरत है*।
वाह..वा..क्या बात है हुजूर वाह...बेहद खूबसूरत लिखा है आपने...ज़िन्दगी की इतनी खूबसूरत बातें कहीं हैं की ल्त्त्फ़ आ गया...शुक्रिया आपका मेरे ब्लॉग पर आने का और संजय जी की रचना से प्रेरणा पा कर इस खूबसूरत और बेहतरीन रचना को लिखने का....
नीरज

Anonymous said...

mansur bhai
bade dino baad achchhe mood ki rachanaa padhne ko mili hai