Friday, April 10, 2009

OFTEn /अक्सर

अक्सर
में अक्सर कामरेडो से मिला हूँ ,
में अक्सर नॉन -रेडो से मिला हूँ. [जिन्हें अपने ism [विचार -धारा से सरोकार नही रहा]

केसरिया को बना डाला है भगवा,
में अक्सर रंग-रेजो से मिला हूँ. [रंग-भेद/धर्म-भेद करने वाले]

मिला हूँ खादी पहने खद्दरो से,
में अक्सर डर-फरोशो से मिला हूँ. [ अल्प-संख्यकों को बहु-संख्यकों से भयाक्रांत रखने वाले]

मिला हूँ पहलवां से, लल्लुओं से,
में अक्सर खुद-फरेबो से मिला हूँ. [दिग्-भर्मित]

मिला हूँ साहबो से बाबूओ से,
में अक्सर अंग-रेजो से मिला हूँ.

न मिल पाया तो सच्चे भारती से,
वगरना हर किसी से में मिला हूँ.

*
अक्सर*= यानी बहुधा , सारे के सारे नही ! यह व्याख्या भी कानून-विदो के संगत की सीख से एहतियातन
अग्रिम ज़मानत के तौर पर कर दी है - वरना , ब्लागर डरता है क्या किसी से?
-मंसूर अली हाशमी

6 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

आप ने तो सब पर रेड कर दी।

रवि said...

इन कम्बख्त कामरेडों और डर फरोशों तो नौबत आने पर वतन फरोश बनने में देर नहीं लगती,

आप मिल लिये इनसे, हम तो इनसे दूर दूर ही रहते हैं

Udan Tashtari said...

गजब लिख गये आप तो.

समयचक्र said...

बहुत खूब गजब का लिखा है .
धन्यवाद्.

बवाल said...

लाजवाब कहा चचा आपने! क्या कहना ! अहा !
आपके कहने के अंदाज़ पर एक शेर याद आ गया चचा.. मुलाहिजा फ़रमाइएगा-
निक़ाब उलट दिया मूसा ने तूर पर उनका...
अगर गुनाह सलीक़े से हो, गुनाह नहीं

Mansoor ali Hashmi said...

Nichod aapne pesh kar diya, bavalji- ise kehte hai NAHLE PE DAHLA.
M.HASHMI