Tuesday, May 19, 2009

उल्टी गिनती …

उल्टी गिनती
चुनाव नतीजे के पश्चात्……"अब विश्लेशन करना है" प्रस्तुत है,
क्रप्या पिछ्ली रचना "अब गिनती करना है" के सन्दर्भ मे देखे…


सोच में किसके क्या था अब यह गिनती करली है,
शौच में क्या-क्या निकला यह विश्लेशन करना है।

सिर पर बाल थे जिसके, वह तो बन बैठे सरदार,
औले गिर कर फ़िसल गये, विश्लेशन करना है।

'वोट' न मिल पाये, ये तो फिर भी देखेंगे,
'वाट' लगी कैसे आखिर! विश्लेशन करना है।

सब मिल कर सैराब करे यह धरती सबकी है,
फ़सल पे हो हर हाथ यह विश्लेशन करना है।

'अपने ही ग्द्दार', यही इतिहास रहा लेकिन,
'कौन थे ज़िम्मेदार', यही विश्लेशन करना है…।

-मन्सूर अली हाश्मी

5 comments:

महेन्द्र मिश्र said...

वाह वाह
बहुत दिनों बाद बाद आपकी पोस्ट पढ़कर बहुत अच्छा लगा. हार जीत की समीक्षा और विश्लेषण करना तो सिर्फ जनता को करने को रह जाता है नेताओं को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है . लोग तो नेताओं के खाने से लेकर हगने तक की समीक्षा करने बैठ जाते है . जनता को बदले में क्या मिलता है मंहगाई और गरीबी . चुनावो के बाद या पहले से किस कदर मंहगाई बढ़ी है जिससे जनता रो रही है क्या नेता या और जन इसकी समीक्षा विश्लेषण क्यों नहीं करते है यह अब विचारणीय बात है .आभार

Udan Tashtari said...

सही है...आज बहुत दिनों बाद आये.

संगीता पुरी said...

बढिया लिखा ..

Birds Watching Group said...

mansur bhai jinhone kiya ve kar gaye ab vishleshan kar ham apna samay kyo jaya karen?

दिनेशराय द्विवेदी said...

आखिर कुछ तो काम चाहिए था इन्हें चुनाव के बाद।