Monday, September 14, 2009

Blogging-4

बलागियात-4

[पूर्व प्रकशित - संपादित/संवर्धित , Blogging लेबल पर अन्य रचनाओं के लिए:-
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टेक्नीकल ब्लॉग बनते है,
मेकेनिकल ब्लॉग बनते है,
पॉलिटिकल ब्लॉग बनते है,
हिस्तरिकल ब्लॉग बनते है.

टेक्निक  को सरल बनाता ब्लॉग,
कागजी भी मशीन चलाता ब्लॉग,
झूठ-सच को उलट-पलट करता,
'इति' को 'हास' [य] में बदलता ब्लॉग।


सच का पैमाना ले के बैठेंगे,
झूठ को बर्फ से भी तोलेंगे,
छोड़ कर हम तो north-south को,
सिर्फ़ अपनी ही पोल [pole] खोलेंगे।


'न्याय'* का दम तो हम भी भरते है,
' दाल-रोटी' से प्यार करते है,
'भडास' हम भी निकाल ही लेंगे,
इसी पर्यावरण में पलते है।

वो जो 'छींटे' उड़ा रहा है कहीं,
हमको तकनीक भी सिखाता है,
और 'तकनीक दृष्टा' एक जनाब,
इक ग़ज़ल रोज़ ही सुनाता है.


बैठने से ज़्यादा उड़ता है,
क्या गज़ब तश्तरी पे करता है.
Nostalgia का हो के शिकार,
इन दिनों खूब आह भरता है.


गौ के एक स्वामी भी है यहाँ,
पुस्तकों को भी अब तो पाले है.
धूम उनकी ग़ज़ल की रहती है,
उनके उस्ताद भी निराले है.

एक शब्दों के जादूगर भी है,
नाम और काम से वो 'कर' भी है.
'ताऊ' है, 'भाऊ' और 'सीमा' है ,
एक ब्लॉगर जी चिपलूनकर भी है.

बादलों से भी झांकता प्रकाश,
राज़ बतलाती रजिया आपा है ,
दत्त जी झान बाँटते हरदम,
पूरी संगीतमय संगीता है.

वाणी होती नशर ब्लागों की,
चिट्ठो से है भरा जगत सारा,
सेवा भाषा की सब ही करते है,
जो न टिप्याया वह गया मारा.

कुछ विषय का यहाँ नही टौटा
जो लुढ़क जाए बस वही लोटा,
Dust Bin ही नही तो डर कैसा,
चल जो निकला नही रहा खोटा.


आओ बैठे , ज़रा सा गौर करे,
पहले हम ख़ुद को ही तो bore करे,
छप ही जाएगा नाम चित्र सहित,
पीछे चिल्लाये कोई शोर करे!


नर को नारी बनादो चलता है,
बिल को खाई बतादो चलता है,
तिल से हम ताड़ तो बनाते है,
राई होवे पहाड़ चलता है।

-मंसूर अली हाश्मी
[नोट:. inverted coma के शब्द एवम विभिन्न रंग  ब्लॉग टाइटल/ब्लोगर्स को इंगित करते हुए है../*तीसरा खंबा ]

6 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

सुंदर, बहुत सुंदर।

अजित वडनेरकर said...

वाह साहब, खूब समेटा आपने ब्लाग-कुनबे को!!

Udan Tashtari said...

वाह जी..मान गये..दूर दूर तक उड़ान भरी है. :) बधाई.

शरद कोकास said...

भाईजान अपने यहाँ ब्लॉग तो इतने हैं कि आप पूरा महाकाव्य लिख सकते हैं - बधाई - शरद कोकास

Mansoor ali Hashmi said...

॰शरद कोकास,

ज़ी हाँ, मुझे भी लग रहा है कि छत्ते में हाथ डाल दिया है, ख़्हिर कुछ और बंदो के डिटेल अहवाल कलमबद हुए थे, दी हुई साईट पर मुलहिज़ा फ़रमाए। वड्नेरकरजी के माध्यम से आज आपके व्यक्तित्व के दूसरे पहलू भी देखे।

http://mansooralihashmi.blogspot.com/search/label/Blogging

-मन्सूर अली हश्मी

संगीता पुरी said...

वाह .. अच्‍छी रचना है .. मैने आज ही देखा !!