Friday, September 18, 2009

तो क्या?/So What?

तो क्या?

भीड़ से जो लोग* डरते है,
भेड़(cattle) से हो उन्हें परहेज़ तो क्या?

सुख वो सत्ता का छोड़ दे कैसे,
शूल की भी भले हो सेज़ तो क्या?

अपनी कुर्सी तो हम न छोड़ेंगे,
छिन जो जाए हमारी मेज़ तो क्या?

क्या कमी है यहाँ 'फिजाओं'* की,          [*चाँद की प्रेमिका]
मिल न पाया अगर दहेज़ तो क्या?

अपनी रफ़्तार हम न बदलेंगे,
है ज़माना अगर ये तेज़ तो क्या?

फ़िक्र ozone की करे क्यों हम,
हम न होंगे! बढ़े ये Rays तो क्या !

एक लड़का भी चाहिए हमको,
बहू को फिर चढ़े है Days तो क्या? 

*मगरूर साहब


  -मंसूर अली हाशमी
   

3 comments:

pritima vats said...

वाकई बहुत अच्छा लिखते हैं मंसूर साहब आप। पहले भी मैंने आपको पढ़ा है।

Unknown said...

hashami ji, aap se milna chahata hoon... samaya v sthan batayen...

pankaj vyas ratlam

Mansoor ali Hashmi said...

॰ पंकज व्यास:

धन्यवाद व्यासजी, आपका स्वागत है।
मैरा मोबाईल नम्बर:

9300674622