Tuesday, November 3, 2009

Karnataka/scam/terror


कर- नाटक !


# अब दल का खुला है फाटक,
  ''कर'' लो जो भी हो ''नाटक''.
  'येदू' जो  कभी  ''रब्बा'' थे,
  अब क्यों लगते है  जातक.

# धन ढूंढ़ता राजा को पहले,
  अब ''राजा'' को धन की चाहत,
  पैकेज बने तो सत्ता में, 
  बैठो को मिलती है राहत.

# आतंक तलवार दो-धारी,
   दुश्मन से कैसी यारी,
  अब कर ली है तैयारी,
  माता हम तुझ पे वारी 

-मंसूर अली हाशमी 

2 comments:

Udan Tashtari said...

सटीक दिया भाई जान!! बेहतरीन!!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

आतंक तलवार दो-धारी,
दुश्मन से कैसी यारी,
अब कर ली है तैयारी,
माता हम तुझ पे वारी

Bahut khoob Janaab, bahut khoob !!