Thursday, November 12, 2009

माय फूट!/ My Foot

माय फूट!

वो नहीं बोलता झूट,
''अमची'' न बोला तो 'हूट'
माय फूट!


'आज़मी' को डाला कूट ,
किसको भली लगी करतूत?
माय फूट.


अस्मिता में डाली फूट,
कैसी मानुस में अब टूट,
माय फ़ुट.


चाहें देश ये जाए टूट,
दल को करना है मजबूत,
माय फूट.


नही पूरा हुआ [कर] नाटक,
केवल बदल गया है रूट,
माय फूट.


वे नहीं बोलते झूट, 
खद्दर का पहने है सूट,
माय फूट!


उसने लिए करोड़ो लूट,
जिसको मिली ज़रा भी छूट,
माय फूट.

-मंसूर अली हाशमी

2 comments:

Udan Tashtari said...

सटीक!!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

हां-हां , जनाव अच्छा उपजा लेतो हो दिमाग में ... बहुत खूब, I like it .