Wednesday, February 10, 2010

ठेकेदार !

ठेकेदार !

बिन बुलाया कोई मेहमान न चलने दूँगा,
पाक-ओ-कंगारू है बयमान न चलने दूँगा.

मैं किसी और की दूकान न चलने दूँगा,
नाम में जिसके जुड़े खान न चलने दूँगा.

याँ जो रहना है वडा-पाँव ही खाना होगा!
इडली-डोसा, पूरबी-पकवान; न चलने दूँगा.

घाटी लोगों की जमाअत का भी सरदार हूँ मैं,
पाटी वालो का हो अपमान! न चलने दूँगा.

सिंह सी हुंकार भरू; शेर ही आसन है मैरा,
कोई 'ललूआ' बने यजमान, न चलने दूँगा.

इकड़े-तिकड़े जो न सीखोगे; तो ऐसी-तैसी!
बोले 'मानुस' को जो इंसान* न चलने दूँगा.

मैरे अपने को मिले 'राज'; चला लूंगा मगर,
'रोमी' पाए कोई सम्मान! न चलने दूँगा.

valentine पे करो प्यार तो पूछो मुझसे,
love में किस करने का अरमान न चलने दूँगा.

'प्यार के दिन'* पे पिटाई की परिपाटी है!,
'तितलियाँ फूल पे क़ुर्बान' न चलने दूँगा.

यह जो 'ठेका' है मैरे नाम का हिस्सा ही तो है,
मै किसी और का फरमान! न चलने दूँगा.

'सामना' कर नहीं पाओ तो दिखाना 'झंडे',
घर मैरा! ग़ैर हो सुलतान, न चलने दूँगा.

बिन-ब्याहों* को सियासत में न लाना लोगों,
 'मन विकारों से परेशान'*, न चलने दूँगा.

रोक दो! शायरी; बकवास नहीं सुनता मैं,
'कोंडके'* सा न हो गुण-गान, न चलने दूँगा.

इंसान=अमराठी भाषी शब्द, 
प्यार का दिन=valentine day,
 बिन-ब्याहे=अटल,मोदी,माया,उमा,राहुल....
मन विकारों से परेशान= frustrated.

-मंसूर अली हाशमी

3 comments:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

Bahut khoob !

Udan Tashtari said...

बहुत सटीक!! शानदार कटाक्ष!

दिनेशराय द्विवेदी said...

सुंदर सुंदर सुंदर!!!