Wednesday, October 20, 2010

हो..... गया !


हो..... गया !

'ख़तम खेल', सोना हज़म हो गया,
रजत, तांबा जो था भसम हो गया.

पढ़ा ख़ूब 'कलमा दि'लाने पे जीत,
"विलन", सौत* का फिर बलम हो गया.  *[सत्ता]

लगी दांव पर आबरूए वतन,
रवय्या तभी तो नरम हो गया.

चला जिसका भी बस लगा डाला कश,
 'हज़ारेक' करौड़ी चिलम हो गया.

है मशहूर मेहमाँ नावाज़ी में हम,
बियर की जगह, व्हिस्की-रम हो गया.

सितारों से रौशन रही रात-दिन,
ये दिल्ली पे कैसा करम हो गया.

कमाई में शामिल 'विपक्षी' रहे,
'करोड़ों' का ठेका ! क्या कम हो गया? 

निकल आया टॉयलेट से पेपर का रोल*,  
यह वी.आई.पी. 'हगना' सितम हो गया. 

[*एक रोल ४१०० में खरीदा गया?]
-- mansoorali hashmi

8 comments:

Udan Tashtari said...

CWG पर कड़ी नजर डाली. :)

नीरज गोस्वामी said...

वाह मंसूर भाई वाह...आपकी नज़रों से कुछ भी बच पाना मुश्किल ही नहीं ना मुमकिन है...धारदार लेखन...

नीरज

दिनेशराय द्विवेदी said...

वाकई गहरी नजर थी आप की इन खेलों पर।

उम्मतें said...

बेहतरीन तंज ! हर शेर , चोट खाकर बिफर जाने सा अहसास लिए !

आपका अख्तर खान अकेला said...

mnsur bhaayi bhut khub bhut achchaa aatm mnthn he andaze byaan jnaab ka bhut bhut bhut bhut bhut bhut bhut psnd aaya , mubark ho. akhtar khan akela kota rajsthan

आपका अख्तर खान अकेला said...

मंसूर भाई आदाब अपने जिन अल्फाजों में कोमन वेल्थ गेम की हेल्थ ब्यान की हे भाई वह मजा आ गया यह अंदाज़ बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत पसंद आया बधाई हो जनाब ब्लॉग पर मिलते जुलते रहेंगे ओत इन्शाल्ल्लाह एक दिन प्यार हो ही जाएगा ठीक कहता हूँ न में . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

चला जिसका भी बस लगा डाला कश,
'हज़ारेक' करौड़ी चिलम हो गया.

--- Wah Wah Waah!!

What a quick and solid CWG-Report.

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

Mansoor bhai, sachmuch gazab ho gaya. Baton hi baton men itni dilkash rachna padh gaya.
..............
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