Friday, October 29, 2010

किस से 'गिला' करे !

किस से 'गिला'  करे !

उसका 'गीला', 'नी' लगे, 'गंदा' उन्हें !
'अंधी' 'रुत' है, दोस्तों अब क्या करे?
कैसी आज़ादी उन्हें दरकार है,
अपने ही जो देश को रुसवा करे !!

-मंसूर अली हाश्मी 
  


9 comments:

Majaal said...

miyan, ab vo bhi kare to kya kare,
aisi hi thodi na bukar mila kare ....

उम्मतें said...

आप भी परेशान हो गए उससे :)

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ said...

अली साहेब,
आदाब!
चुटकी अच्छी ली है आपने!
लेकिन परेशां ना होइए, लेट देम एन्जॉय!
आशीष
--
पहला ख़ुमार और फिर उतरा बुखार!!!

Satish Saxena said...

बहुत खूब हाशमी साहब ! आदाब !

जितेन्द्र ‘जौहर’ Jitendra Jauhar said...

हुज़ूर,
आदाब!
शब्दों के साथ आपका यह खिलंदड़ अंदाज़ खूब भाया।
यक़ीन कीजिए मैं भी समय-समय पर यूँ ही खेल लेता हूँ, शब्दों से।

BrijmohanShrivastava said...

वाह भाईजान । मजा आगया । शव्दों पर इन्वर्टेड कोमाज लगा कर क्या रहस्य भर दिया है । शीर्षक भी जोरदार । क्या गिला करें ? गिला तो तब हो जब तूने किसी से भी निबाही हो। भाई जान मुझे ब और व में ज्यादा फर्क समझ में नहीं आता इसलिये कुछ गलती होगई हो तो मुआफी चाहूूगा । पहले जो कमेन्ट दिया था वह लिख तो दिया बाद में सोचता रहा कि मैने किवला लिखा है क्या पता ब बनेगा या व बनेगा। क्योंकि शव्दों के जरासे अन्तर से अर्थ बदल जाता है जैसे दरोगा और दारोगा

BrijmohanShrivastava said...

आप को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
मैं आपके -शारीरिक स्वास्थ्य तथा खुशहाली की कामना करता हूँ

Deepak chaubey said...

बहुत खूब
आदाब!

mridula pradhan said...

bahut achche.