Wednesday, February 9, 2011

वो....ग्ग्या....


वो....ग्ग्या....   

फिर आज इक दिन खो गया,
9 - 2 - 11 हो गया,
लौटा नही है, जो गया.

लो,  नौ-दो-ग्यारह* हो गया,       
पेचीदा कानूनों में फंस,
निर्णय ही देखो खो गया!    

झंडे का वंदन हो गया,
आज़ाद पाके ख़ुद को फिर, 
जागा ज़रा, फिर सो गया.


प्रतिष्ठा अपनी धो गया !
हंगामा मत बरपा करो,
जो हो गया सो हो गया.

'पिरामिडो' के देश का,
वो तो 'इकत्तीस मारखां'     [Ruling since 31 years]
देखो तो फिर भी रो गया.

--mansoorali hashmi

9 comments:

उम्मतें said...

क्या पता उसे इंतज़ार चालीसवें का तो नहीं :)

दिनेशराय द्विवेदी said...

बहुत खूब!

नीरज गोस्वामी said...

मजेदार रचना...
नीरज

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

मंसूर साहब आपकी रचनाओं का हास्‍य मुस्‍कराने को मजबूर करदेता है।

---------
पुत्र प्राप्ति के उपय।
क्‍या आप मॉं बनने वाली हैं ?

Udan Tashtari said...

बहुत सही..

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

मंसूर साहब, इस शमा को जलाए रखें।

---------
शिकार: कहानी और संभावनाएं।
ज्‍योतिर्विज्ञान: दिल बहलाने का विज्ञान।

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

आदरणीय मंसूर चचाजान
आदाब अर्ज़ !
सादर सस्नेहाभिवादन !

पता नहीं … मेरा कमेंट क्यों नहीं छपा …
हमेशा की तरह कमाल ! … थोड़ा-सा कम मज़ा आया … शायद सोने की चिड़िया के भी ऐसे अंज़ाम पर आप लिखेंगे तब मज़ा ज़्यादा आए … शायद !

प्रणय दिवस सप्ताह भर पहले था तो क्या हुआ … बसंत ॠतु तो अभी बहुत शेष है ।
आपको मंगलकामनाएं न दूं तो किसे दूं ?
प्रणय दिवस की मंगलकामनाएं !

♥ प्यारो न्यारो ये बसंत है !♥
बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

हरदिलअज़ीज़ आदरणीय जनाब मंसूर अली हाशमी साहब
मुबारक ! मुबारक !! मुबारक !!!


~*~जन्मदिवस पर बहुत बहुत बधाइयां~*~
और
~*~शुभकामनाएं ! मंगलकामनाएं !!~*~

सादर सस्नेहाभिवादन !

ईश्वर आपका यौवन अक्षुण्ण रखे , आमीन !
आपके जीवन में बारह मास बसंत बिराजमान हो , और उसका आनन्द चिरकाल तक सबमें बांटते रहें ।

इस अवसर पर आप नई पोस्ट लगाते तो और भी आनन्द आता ।

सादर आपका ही
- राजेन्द्र स्वर्णकार

संजय कुमार चौरसिया said...

~*~जन्मदिवस पर बहुत बहुत बधाइयां~*~
और
~*~शुभकामनाएं ! मंगलकामनाएं !!~*~