Monday, June 3, 2013

याँ लूट मची है लेले !






याँ लूट मची है लेले !

आ, फिक्सिंग-फिक्सिंग खेले
ख़ुद मारे, ख़ुद ही झेले। 

ये दर्शक तो है गेले*                    *बेंडे 
चीयर-बाला इनपे ठेले . 

'श्रीनि' लगाए मेले,
बेचारे! 'संत'* अकेले.          *श्री संत 

बस कुर्सी छीन न मेरी,
'दामाद' भले ही लेले. 

आ, 'डाल मियाँ' तू अन्दर,
बाहर 'शिर्के', 'जगदाले'

'शशांक' मनोहर लेकिन,
ये 'जेटली' तो शर्मीले!

अब जांच कोई भी करले,
सब भाई है मौसेरे. 

'तू'* कर ले लाख ट्विट पर,          *'ललित मोदी'
हो कौनसे 'दूध-धुलेले' ?

'पावर'* क्यों काम न आया,           *'पंवार' का 
वो भी तो छाछ जलेले. 

अब ख़त्म करो भी झगडा,
मिल-जुल कर सारे खेले. 

--mansoor ali hashmi 

3 comments:

विष्णु बैरागी said...

आपके साथ यही तकलीफ है हाशमी साहब। आप किसी को नहीं बख्‍शते। सबके साथ एक जैसी बेरहमी बरत कर बखिया उधेड देते हैं।

आपकी इस बेरहमी पर कुरबान। सदा जवान रहे आपकी यह बेरहमी।

दिनेशराय द्विवेदी said...

बहुत खूब .....!

yashoda Agrawal said...

खूबसूरत कटाक्ष
सादर